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Narad went to the third person, who sent him to the fourth. The fourth person sent him to the fifth. When Narad visited the 25th person, a guard told him to go straight to the boss. Without a visiting card, the boss got angry. He said, "Has someone misunderstood this as a temple? Go and tell the boss to come to each house." नारद उस बाबु के पास गए। उसने तीसरे के पास भेजा। तीसरे ने चौथे के पास। चौथे ने पाँचवे के पास। जब नारद पच्चिस तीस बाबुआ और अफसरों के पास घूम आये, तब एक चपरासी ने कहा, महराज आप क्यों इस जंजजट में पड़ गए। अगर आप साल भर भी यहां चक्कर लगाते रहें, तो भी काम नहीं होगा। आप तो सीधे बड़े साहब से मिलिए। उन्हें कुछ कर लिया तो अभी काम हो जाएगा। नारद बड़े साहब के कमरे में पहुंचे। बाहर चपरासी उंघ रहा था, इसलिए उन्हें किसी ने छेडा नहीं। उन्हें बिना विजिटिंग कार्ड के आया देख, साहब बड़े नाराज हुए। बोले, इसे कोई मंदर-मंदर समझ लिया है क्या? घर-घर आते चल साहब बोले