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Nothing to say, yet
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लिक्ष देता हूं अपने जजबातों को कफता मैं हर बात बोलके बताओं जरूरी तो नहीं, माना मुझ्चे भी होती हैं गल्सिया पर तुम्हारी गल्सियों पर भी मैं ही मनाओं जरूरी तो नहीं। बहुत वक्त हो गया तुमसे बात किये, शायद भूल चुके हो अब मुझे पर मैं भी तुम्हे भूल जाओं जरूरी तो नहीं। तुम क्यों नहीं समझते बे इंतहा महबत है तुमसे पर हर वक्त प्यार जताओं जरूरी तो नहीं। बहुत किया था तुमने भी महबत हमसे पर हमारे इश्ट की कहानिया सब को सुनाओं जरूरी तो नहीं। मैं जानता हूं अब खुस हो किसी और के साथ पर मैं भी तुम्हारी जगए किसी और को लाओं जरूरी तो नहीं।