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प्रिये दर्सको आज की ये कहानी बहुती प्रेणादाइक और इंट्रेक्टिंग होने वाली है जो लोग इस कहानी को दिल से और मन से सुनते हैं उसके घर में कभी भी कोई कले उत्पन नहीं होगा उसके घर में हमें साथ सुक और सांती बनी रहेगी मालच्मी का सदेव आग उसके घर में सुक सांती होती है उसके घर में सुक सर्मजी की प्राप्ती होती है और मालच्मी का आवास बना रहता है यह कहानी हमारे जीवन में यह प्रेणाय देगी कि हमें लड़ाई जगड़े क्यों नहीं करने चाहिए और जिस घर में लड़ाई जगड़े होते हैं उसे कैसे रोका जाए त्रिये दर्शकों घर में सुक सांती का होना बहुत जरूरी होता है क्योंकि जिस घर में सुक सांती होती है वहाँ लड़ाई जगड़े निवात करती है और जहां कले उत्पन होता है लड़ाई जगड़े होते हैं वहाँ आय लड़ाई निवात करती है तो हो सके तो इस कहानी को पुरा सुने यह कहानी आपको आपके जीवन में धेरो सारी प्रेहनाय देगी यह कहानी बहुती प्रेहनादाई कहानी है कहानी को सुरू करने से पहले आप हमारे चैनल को सब्सक्राइब जरूर करे और अगर कहानी पसंद आती है तो वीडियो को � कहती है कि पिया जी हमें यहां से चलना चाहिए और यहां से चलने के बाद जहां हमारे समाद के पक्षी रहते हैं काफी मौर मौरनी रहते हैं वहां चलना चाहिए तो मौर मौरनी से कहता है कि पिर यह वहां चलेंगे तो लड़ाई जगड़ी जदा होंगे इस ते साथ हम सकुन से यहां रहते हैं लेकिन मौरनी जिद करती है प्रियेदर्स को दोनों उड़कर एक नगर में आ जाते हैं मौरनी की जिद पर दोनों मौर मौरनी उड़कर एक नगर में आ जाते थे उस नगर का राजा पसु पक्षियों की बाता को अच्छे से समझता था उस नगर का राजा पसु पक्षियों की बाता को अच्छे से समझता था उस राजा ने कराव सास्तर की पढ़ाई के थी कराव सास्तर का मतलब होता है कि जो पक्षियों की आवाद को समझ सके पसु प भेराजा अपनी राणी से कहता है कि राणी मुझे बहुत तग्डी भूँख लगी है और मुझे भोजन खिला दीजिये एक दिन की बात है भेराजा अपनी राणी से कहता है कि राणी मुझे बहुत तग्डी भूँख लगी है और मुझे भोजन खिला दीजिये प्रिये दर्सको राजा राणी के लिए 36 परकार के भोज लाती है प्रिये दर्सको वही पर चीटियं भूम रही थी तो अनमें से एक चीटियंने चावल की टुकड़े को ले जाने लगती है प्रिये दर्सको वही पर चीटियं भूम रही थी तो अनमें से एक चीटियंने चावल की टुकड़े को ले जाने लगती है प्रिये दर्सको वही � राजा इस चीच को इस घटना को देख रहा था उस चीटि के पास सुरंध एक बड़ा चीटा आदाता है और वे चीटि से कहता है कि पिज़े ये जावल का टुकड़ा मुझे देधीजिये और तुम राजा की थाली से दूसरा जावल का टुकड़ा लेकर आओ प्रियदर्स को इस बात को राजा समझ सकता था क्योंकि राजा पर्तु पक्षों की बातों को समझ सकता था तो राजा चीटि की उस बात को समझ लेता है कि चीटा उस चीटि से क्या बात कर रहा है चीटी चीटा से कहती है कि नहीं अगर राजा को पता चल जाएगा तो वो मुझे मार देगा लेकिन चीटा फिर भी कहता है चीटा कहता है कि राजा को कुछ भी पता नहीं चलेगा और नहीं राजा हमारे भासा को समझता है चीटी फिर जाने की कौसिंद करती है लेकिन आदे राच्चे से वापस आजाती ह और समझता भी है राजा ने हमारे बातों को सुन लिया है चीटी चीटे से कहती है कि राजा हमारे बात को सुन रहा है और समझता भी है राजा ने हमारे बातों को सुन लिया है चीटी चीटे से कहती है कि अगर राजा हमारे बात को सुन लिया है और यदी राजा यह बात कि जैसे ही राजा को हंसी आती है उदर राजा की राणी रशोई से बार कदम रखती है जैसे ही रशोई से बार कदम रखती है तो राजा को हंसता हुआ दिखाई देता है राणी राजा को हंसते वे देखकर सोती है कि साइब मुझे कोई गलती हुई है इसलिए राजा हंस रहे है राणी राजा के पास जाती है और कहती है क्या मुझे कोई अपराद हुआ है क्या मुझे कोई गलती हुई है जो आप इतने तग्डे हंस रहे हो तो राजा कहता है क यदि मैं चीटी वानी बात किसी को बताओंगा तो वे पत्तरका बन जाओंगा राजा ये बात राणी को नहीं बताना चाता लेकिन राणी बार बार जेत करती है कि वे आपको मुझे ये बात बतानी होगी यदि आप मुझे सच्चा ब्लेंब करते हैं यदि आप अपनी र प्रिये दर्सको राणी हट करने लगती है और कहती है कि त्रिय हट और बाल हट तग्री होते हैं दोनों साथ दोनों हट से बचके रहना चाहिए जितना हो सके इन सब को संबाल रखने लगती है त्रिय दर्सको राणी हट करने लगती है और कहती है कि त्रिय हट और बाल हट बहुत तग्री होती है दोनों साथ से बचके रहना चाहिए और जितना हो सके इनको संबाल करने लगती है त्रिय दर्सको राणी त्रिय हट करती है त्रिय हट के आगे राजा को जुखना पड़ता है राजा कहता है कि ठीक है यदि मैं आपको यह बात बताओंगा तो आपको पस्ताना पड़ेगा राणी कहती है अभी तो आप युझी कह रहे थे कि कोई बात नहीं है अब आपको त्रिय दर्सको राजा और राणी हट त्रिय दर्सको राजा और राणी रथ में सवार्मकर दंगल के लिए निकल जाते हैं तर घंगोर दंगल में पहुँच जाते हैं वो राजा बात को शुरू करता है जैसे जैसे राजा राणी की थोड़ थोड़ी बात सुनता गया त्रिय दर्सको राजा और राणी रथ में सवार्मकर दंगल के लिए निकल जाते हैं तर घंगोर दंगल में पहुँच जाते हैं वो राजा को बात शुरू करता है जैसे जैसे राजा राणी को थोड़ थोड़ी बात सुनाते गया वैसे वैसे पतर का बनता गया जैसे राजा ने आदी बात राणी को सुनाई तो वे आदा पतर का बन गया राजा राणी से कहती है कि मैं दिल दिल पतर का बनता जैसे राजा ने आदी बात राणी को सुना तो वे आदा पतर का बन गया राजा राणी से कहता है कि मैं दिल दिल पतर का बनता चाह रहा हूँ तुम बहुत पस्ता होगी तो राणी राजा से कहती है कि राजा सहब थोड़ी सी बात बाकी है उसे भी जल्दी से बता दीजिए प्रियदर्श को राजा संपुर्ण बात उस भारी बार का पतर को हिलाने की कोशिल करती है लेकिन वे पतर कहां हिले चोकि राजा बहुत भारी था इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि कभी त्रियहट में ना पड़े जो लोग त्रियहट में पड़ जाते हैं उनका पतन होना तैह है इसलिए कभी त्रियहट में ना पड़े हम उम्हीट करते हैं कि इस कहानी से आपको अच्छे सीख मिली होगी अगर आपको कहानी पसंद आई तो हमारे वीडियो 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