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ये नववर्ष हमें सुईकार नहीं, है अपना ये त्योहार नहीं, है अपनी ये तो रीत नहीं, है अपना ये व्यवहार नहीं, धरा ठिठुर्थी है सर्दी से, आकाश में कोहरा गहरा है, बाग बजारों की सरहद पर सर्द हवा का पहरा है, सुना है प्रकरती का आंगन, कुछ रंग नहीं, उमंग नहीं, हर कोई है घर में दुबका हुआ, नववर्ष का ये कोई ढंग नहीं, चंद मास अभी इंतरजार करो, निज मन में तनिक विचार करो, नए साल, नया कुछ हो तो सही, क्यूं अकल, नकल में सारी अकल बही, उल्लास मंद है जनमन का, आई है अभी बहार नहीं, ये नववर्ष हमें स्विकार नहीं, है अपना ये त्योहार नहीं, ये धुंद कुहा सा चटने दो, रातों का राज्य सिमटने दो, प्रकरती का रूप निखरने दो, फागुन का रंग बिखरने दो, प्रकरती दुलहन का रूप धार जब स्मेह सुधा बरसाएगी, शश्य शामला धरती माता घरघर कुष्वाली लाएगी, तब चैत्र शुकल की प्रथम तिथी नववर्ष मनाया जाएगा, आर्या वर्त की पुन्य भूमी पर जैगान सुनाया जाएगा, युक्ति प्रवान से स्वयम सिध, नववर्ष हमारा हो प्रसिध, आर्यों की कीरती सदा सदा, नववर्ष चैत्र शुकल प्रतीपदा, अनमोल विरासत के धनिकों को चाहिए कोई उधार नहीं, ये नववर्ष हमें सुईकार नहीं, है अपना ये त्योहार नहीं, है अपनी ये तो रीट नहीं, है अपना ये त्योहार नहीं, राश्ट कभी रामधारी सिंग्धिनकर जी की यहां ओजमाई प्रस्तुति, नववर्ष, भारती नववर्ष, चैत्र शुकल प्रतीपदा, आगामी अप्रेल 9 को मनाया जाएगा, इसके लिए नहीं करता है क्लोजियर क्रिश्टियन कालेंडर यर 2023, पर हमें एक दिस्टिंकिव आपका आपका अपनी प्रतियों के लिए आपका आपका आपका प्रतियों के लिए आपका प्रतियों के लिए आपका प्रतियों के लिए आपका प्रतियों क के लिए आपका प्रतियों के लिए आपका प्रतियों के लिए आपका प्रतियों के लिए आपका प्रतियों के लिए आपका प्रतियों के लिए आपका प्रतियों के लिए आपका प्रतियों के लिए आपका प्रतियों के लिए आपका प्रतियों के लिए आपका प्रतियों क