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Chhath Puja is a popular festival observed mainly in Bihar, Jharkhand, Uttar Pradesh, and Nepal. It is now celebrated throughout the country. The festival is dedicated to Lord Surya and his sister Chhathi Maiya. It involves fasting, offering prayers, and performing rituals that promote self-discipline and spiritual awakening. Chhath Puja has health benefits too, as it helps in the absorption of Vitamin D during the Kartik month, which is crucial for bone health. The festival also helps in boosting immunity and fighting diseases. The rituals include taking a dip in water, offering prayers to the Sun, and consuming vegetarian food as prasad. It is believed to have origins in the Ramayana and Mahabharata. Chhath Puja is a significant festival that brings joy and fulfillment to devotees. दोस्तों क्या आप जानते हैं छट पूजा मनाने का बैज्यानी कारण यह ज्यादातर भिहार, ज्हारकंड, उत्रपर्देश और नेपाल के मध्य छेत्र में देखा जाता है हाला कि इनकी बढ़ती लोगप्रियता के साथ यह त्योहार अब लगबख पूरे देश में मनाया � में डूंके लगाते हैं और खाने से सम्बदित अनुस्थानों का पाल्म करते हैं जो छट ब्रत्यों के बीच विवेक और आत्मसंद्यम को प्रोप्साहित करते हैं छट पूजा मूल रूप से भगबान सूरिय, सूरिय देव और छटि मय्या जिनने भगबान सूरिय की बहन कहा जाता है उनको प्रसन करने के लिए मनाया जाने वाला सबसे पुराना हिंदू त्योहार में से एक है पुराना के संचार के लिए त्यार करती है यदि योग दर्शन पर बिश्पास किय जाए तो सभी जीवित प्राणियों का भौतिक शरीद का उर्जा का एक बड़ा स्वरोथ है पुराना के संचार के लिए त्यार करती है यदि योग दर्शन पर बिश्पास किय जाए तो सभी जीवित पर बिश्पास किय जाए तो सभी जीवित पर बिश्पास किय जाए तो सभी जीवित पर बिश्पास किय जाए तो सभी जीवित पर बिश्पास किय जाए तो सभी � पुरी प्रक्रिया और अनुस्थान ब्रह्मान्दिय और सूर्या ब्रह्मान्दिय और ब्रह्मान्दिय और सुर्या ब्रह्मान्दिय और सुर्या ब्रह्मान्दिय और सुर्या ब्रह्मान्दिय और सुर्या ब्रह्मान्दिय और सुर्या ब्रह्मान्दिय और सुर्या ब्रह् ब्रह्मान्दिय और सुर्या ब्रह्मान्दिय और सुर्या ब्रह्मान्दिय और सुर्या ब्रह्मान्दिय और सुर्या ब्रह्मान्दिय और सुर्या ब्रह्मान्दिय और सुर्या ब्रह्मान्दिय और सुर्या ब्रह्मान्दिय और सुर्या ब्रह्मान्दिय और सुर्या ब्रह आजकल देश में बिटामिन डी की कमी एक महमारी की तरह चल रही है और कार्तिक माह में सुर्य पूजा से बिटामिन डी के अपसूसन में मदद मिलती है कैल्सियम और बिटामिन डी जैसे तत्तों की किशी से हडियों की समस्या और अन्य बिमारिया होने लगती है कार्तिक माह में सुर्य की पूजा करने से महत्पुर्ण तत्तों बिटामिन डी और कैल्सियम का बेहतर अपसूसन होता है इश महिने में कई लोगों में एलरजी, खासी और सरदी के लक्षन दिखने लगते हैं छट पूजा अनुस्थान मानब सरीर को विशाकता से छटकारा दिलाने में मदद करते हैं जिस से इन लक्षनों का प्रभाव कम हो जाता है चुकी छट पूजा सूर्य उदै और सुर्यास्त के दौरान मनाई जाती है इसलिए ब्यक्ति को UVV किरने प्राप्त होने की संभापना होती है जिसका अर्ष यह है वे तवचा की गहराई में कोशिकाओं को प्रभावित कर सकते हैं रोग प्रतिरोधक चहमता में सुधार नोबेल कोरोना वाइरस की बरतमान महमारी को देखते हुए एक स्वास्थ्य प्रतिक्षा प्रणाली हमें हानिकारक बाइरस और बक्तेरिया के आक्रमन से सुरक्षित रख सकती है इमिनिटी बढ़ाने वाले खात पदारत खाने के अलावा चट पूजा भी मदद कर सकती है पूजा के दोरान भक्त जल निकायों में डूंके लगाते हैं और खुद को सुरिय देव के शामने उजागर करते हैं इस से सौर्य उर्जा का प्रभाव बढ़ता है जिससे मानव जिससे उनसे अच्छा स्वास्थ शरीव और सांथ दिमाग मिलता है वे बिटामिन यू वी बी यू वो बिटामिन अल्ट्रा वैलेट रे बी अल्ट्रा वैलेट बी किर्नों से आते हैं जो सुरियास्त और सुरिय देव के शमय प्रभल होते हैं जिस अबधी के दोरान पू कद्दू, संत्रा, अमरूद और गन्ना जैसे कैल्सियम से भर्पूर फल चड़ाये जाते हैं खुब्शूरत त्योहार छट से दो किम्दन्तिया जुड़ी हुई हैं यानि कि दो इस्टोरी जुड़ी हुई हैं रमाइन से जुड़ी पौरानी कथा ऐसा माना जाता है कि छट फूजा की उत्पति के पीछे भगवान राम का हात है 14 साल बनबास से आयोध्या लोटने पर भगवान राम और माता सीता ने सूर्य देव के शामने उपबास रखा और अगले दिन सुबा होने पर इशे शमाप्त किया यह अनुष्थान बाद में छट फूजा में बिख्षित हुआ जिसे हम यह आज देखते हैं महाभारत से जुड़ी कथा ऐसा माना जाता है कि दानविर कर्ण ने पानी में खड़े होकर धार्मिक्ता पुर्बक प्रार्थना की थी और जरुरत मंदों के बीच प्रसाद बित्रित किया था यह भी माना जाता है कि द्रोपदी और पांडवों ने अपना खोया हुआ राज्य वापस पानी के लिए छट फूजा जैसी फूजा की थी वो एक कद्दू की शब्जी, हलवा, चनी की दाल आदि बनाते हैं और उसे प्रसाद की तरह यह खाते हैं. दूसरा दिन खर्णा, दूसरा दिन को खर्णा कहा जाता है, खर्णा पूजा समाप्त होने तक सर्धालो ब्रत रखते हैं, उसके बाद गुड़ से बनी खीर और पूरी का मिश्रण भगबान को भोग के रूप में चड़ाया जाता है और ब्रतियों के बीच बित्रित किया शुभ दिन को मधुर लोक गीतो और पवित्र जल में डूंकी लगाने के साथ मनाया जाता है जो सुर्यास्त तक चलता है चौथा दिन दूसरा अर्ग पारन भी इसे कहा जाता है उगते सुर्या को अर्ग देने के बाद भगत अपना ब्रत खोलते हैं और आशिरबाद मांगते हैं चठी मईया इस बर्स हमारी सभी को उमीदे पूरी करें यहां तक वीडियो पसंद आया हो तो सब्सक्राइब कर लिजेगा महापर्व चठ पूजा का इतिहास और इसके पीछे का भेधिक विज्ञान सत्रनमंबर से लोक आस्था का महापर्व चठ शुरू हो गया है चार दिनों तक चलने बाले इस महापर्व की धूम हर तरफ देखने को मिल रही है मैठली, भोजपूरी, हिंदी, नेपाली आदी भासाओं में चठ शब्द का अर्थ चठा होता है शिक्ष जब पूजा तिवहार चतोर्थी तिथी को होते हैं और कार्थिक महिने में शुक्ल पक्ष की समाप्ती तिथी को समाप्त होते हैं यह चार दिनों तक मनाया जाता है यह तिवहार आम तोर पर दिवाली के छोड़ दिन बाद होता है धन्यबाद वीडियो देखने के लिए