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During the time of Lord Buddha, there was a dacoit named Anguli Mal who would kill people and cut off their fingers, wearing them as a necklace. One day, Buddha encountered him and felt compassion for him. He realized that Anguli Mal just needed to be awakened. Buddha went to the forest and shouted for Anguli Mal to stop. When he approached Buddha, Anguli Mal said that he had stopped, but asked when Buddha would stop committing sins. Buddha replied that he had already stopped, but Anguli Mal needed to transform as well. Eventually, Anguli Mal was deeply moved by Buddha's words and fell at his feet, asking for forgiveness. It was the first time someone had shown him such love and he removed his finger necklace and surrendered to Buddha. बगवान बुद्ध के समय में कौशन राज्य में अंगुली माल नाम का एक डाकू रहता था जिसने सेक्रों लोगों का खुण किया था वह जितने लोगों की हत्या करता उन सभी की उंगली काट कर उसे अपने माला में पिरोकर पहन लेता इसलिए उसका नाम अंगुली माल प कही बार अपनी सेहना भी जी मगर असफल रहें बुद्ध ने अपने ग्यान से वह अनुभव से अंगुली माल की मन में कही दया वकरुना की वावना सूई हुई है बस उसे जगाने की आवशक्ता है यहां सोच बुद्ध उस और चल दिये जंगल में जिस और अंग अपने स्वावावी गती से चलते रहें उसने जोर से चिला कर कहा ठैर जाओ बुद्ध दुग गए जब अंगुली माल बुद्ध के पास आया तो उन्होंने कहा मैं तो ठैर गया हूँ मगर तू कभ ठैरेगा तू भी पाप करने से रुप जाओ और इसलिए मैं यहां आय पलट जाएगी बगवान बुद्ध ने अंगुली माल से कहा तुम पेड़ की डाली तोड़ कर लाओ अंगुली माल ने पेड़ की तहनी तोड़ कर बुद्ध के सामने रख दी बुद्ध ने कहा अब इसे जोड़ो अंगुली माल बोला यह कैसे संभव है यह मैं नहीं कर स में वचार उठे और रोंक्टे कड़े हो गए पर उस बुद्ध के वचनों का बहुत ही अच्छा प्रभाव पड़ा वह शीतल हो गया वह बगवान बुद्ध के चर्णों में गिर पड़ा माफी की कुआर करने लगा पहली बार किसी ने उसे इतने पेम बाव की बात की थी उसने एंगले माल की माला उतार कर फैंग भी बुद्ध के चर्णों में गिर पड़ा