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ये कहानी का ये तीसरा भाग है, पूरी कहानी जानने के लिए आपको इसके पैनली एपिशोट को सुनना पड़ेगा, तब सायद आप जया को विस्तार पुरवग समझ पाएंगे. तो बड़ते हैं, आच्ची कहानी के तरा? ये भी ठीक है कि, उस सममान क्या देखती? उसने तो खुद को ही, कभी दो पल के लिए, आयने के सामने नहीं देखी, कि उस अब कैसी देखती है भी. वो धीरे से ओठ, अपनी छोटी सी ड्रौ को खोने लगी, तो देखा, हाँ, सब सामान तो वैसी ही बड़े हैं, इतने सालों से. वही शिंदूर, जो कभी ओ नगाया करती थी, वही बड़ी सी लाल बिंदी, जिसका अब कोई अस्तित्व नहीं था, जिसका रंग भी अब उड़ चुका था. बिंदी को हाथ में उठाए, वो रजद के पुराने ख्यालों में खोने लगी. रजद हमेशा से ही जया को प्यार से कहता था, जया ये शिंगार तो तुछ से पुड़ी होती है रे, तु इसी तरह मेरे लिए सस्ते सवर्ते रहना, मैं चाहता हूँ कि तु बुरापे में भी मेरे सामने इसी तरह सच धच कर मेरे सामने आया करेगी, तिरा शिंगार देख चाहना और हर पंड अपने प्यार को उसे महसूस कराना जया को काफी रोमान्चित करता था, उसी क्या पता था कि जो रजद बुरापे में साथ रहने की बात करते थे, वो भड़ी जवानी में ही उसे अकेले चोड़कर चला जाएगा, फूलों की बारिश करने वाला इनसान कि तरह रजद के लिए सजना चाहती हो, बहुत दीर तक वो अपने कमरे में रजद के साथ उसके ख्यानों में जी रही थी, दूसरे दिन जब उसकी निन तूटी तो देखा अकेल के दो मिश कॉल और कुछ मैसेजिश पढ़े थे, उसने घड़ी की तरफ देखा त जैया, सोरी अकेल, मेरी आँखी नहीं खुनी, देखो ना, अज लेट हो जाओंगी वाफिस के लिए जैया की बात पर अकेल को हसी आ जाती है और वो हसते हुए, तो मैड़म को ये भी याद नहीं कि आज संडे है अकेल की बात सुनको जैया थोड़ा रिडाक्स फिल करती है, ओ, मैं तो भूली गई, अच्छा हुआ याद दिला दिया तुमने, वर्ना आज तो देरी हो जाती मेरी अकेल, और हाँ, तुमने कल पीक क्यों नहीं बेजा, मैं वेट कर रहा था तुमारा जैया, अकेल, मैं आज कुछ पुराने पीक बेजूँगी, लेकिन अभी नहीं, बहुत काम पढ़े हैं, मैं फ्री होकर तुम्हें बेजती हूँ, ठीक है कॉल कट करके वो अपने कामों में व्यस्थ हो जाती है, संदे की व्यस्थता से खुद को निकाल और कुछ पुरानी तस्विरे खीच अकेल को वाटसब करती है दोनों ही अपने वाटसब के प्रुफाइल में अपनी कोई पीक नहीं लगाई थी, जिसकी वज़ासे दोनों ही एक दिसरे को देख नहीं पाते थे अकेल ने कई बार जाया को बोला था कि तुम अपनी पीक क्यों नहीं देती हो प्रुफाइल में, लेकिन जाया कभी मानती ही नहीं, वो तो खुद स्मार्टफॉन एम्स भी करना चाते थे, लेकिन दिशा ने जोर करके ये फौन करिदवाया था अकेल ने तो कई बार उसे वीडियो कॉल के लिए भी बोला था, ताकि जाया को सचाई बता सके अपनी, लेकिन जाया ने हमेशा ही वीडियो कॉल करने से मना किया था उसे, इसलिए अकेल ने उसे अपनी पीक वेजने को कहा, काफी बार मना करने के बाद आखि जाया अपनी पीछों बाद किसी ने उसकी खुपसुरते की तारिफ की थी, जैसे रजत किया करते थे, हर मेसेज को पढ़ कर उसके चहरे पर एक मुस्कुराहत से आने लगी, अकेल ने जब देखा कि उसके मेसेज को जाया ने रीट कर लिया है, तब वो समझ गया कि जाया फ्री हो चुक आखिल की बाद सुनकर जाया फिर नाराज हो जाती है, अभी का क्यों, तुमने पीछ सेंड करने को कहा था, वो मैंने कर दिया है, अकेल जाया को थोड़ी रिल्लाप्स फिल कराते वे, जाया थोड़ा रिल्लाप्स यार, इतनी हाई पर ना हो, मैंने तो इसलिए बोला कि मै लेकिन खुद के लिए भी अब तुम थोड़ा समय निकालो, और हाँ, आज मैं नहीं बोल रहो तुम्हे पीछ देने के लिए, कल तो आफिस जाओगी न, तब थोड़ा सा खुद के लिए त्यार होना, और मुझे कल पीछ सेंड करना, जाया, पता नहीं तुम्हे क्या हो ग इन दोनों एक दुसरे के आवाज से ही, एक दुसरे को समझने लगे थे, लेकिन अब अक्लिंड को पीछ देखने की सुझने लगी, अक्लिंड में पहली बार जाया को उसकी उड़ाने फोटों में देखा था, अक्लिंड को पता था कि जिसकी आवाज इतनी लदूर होगी, अक्लिंड जैया से बात करते करते ये अनुमान लगा चुका था कि जैया बहुत ही साधरन और सांध सभाववनी अरत है, उसने अपनी चंचंता को कहीं हो दिया है, अक्लिंड उसके जीवन में उसकी हग के कुछी देना जाता था, अक्लिंड अभी महसूस करने लगा था क जैया की हर बात से उसके मूद पर अफ़र होने लगा था, कभी कभी तो हाल ऐसा हो चला था कि अगर वो अखेली भी रहे तो जैया की कुछ बाते उसे ऐसा प्रभावित करने लगी कि वो सोचते हुए भी उसकुराने लगता था, उसकी इस प्रभाव को उसके दोस्त भी सम करने लगी थी कि वो अपना अधिकता समय जैया को दे, सिरियस रहने वाली जैया जो अब अखेली की बातों पर भी उसकुराने लगी थी, वो उसे पास से देखने के लिए बेचायन हो गया, ऐसा होना भी लाज़मी है अखेली की साथ क्योंकि अखेली ने आस तक किसी में � अखेली की बातों पर भी जैया की बातों पर भी जैया की बातों पर भी जैया की बातों पर भी जैया की बातों पर भी जैया की बातों पर भी जैया की बातों पर भी जैया की बातों पर भी जैया की बातों पर भी जैया की बातों पर भी जैया की बातों पर भी जैया की बा दुसरे दिन जब जैया आफिस के लिए रेडी हो रही थी तो उसे अखेल की बात याद आ गई लेकिन जब उसने अपने को आईने में देखा तो सिम्पल जैया खड़ी थी जो एक साधरं से सारी पहनी हुई थी जिसकी तो ब्लॉज भी मैचिंग के नहीं थे अच पहले ब अफिस से लोठे वक आज उसने अपने लिए कुछ नई सारी भी ली और उसके साथ मैचिंग ब्लॉज भी कुछ कपड़े दिशा के लिए भी लिया उड़ने जब भी वो दिशा के साथ मार्केट आती थी तब दिशा की जीत करने पर सारी तो लेने थी थी लेकिन सब कुछ मैचिंग हो इस पर ध्यान नहीं देते थे लेकिन आज उसने सब कुछ अपनी तरफ से मैचिंग का लेने � लेकिन दिशा को अपनी ड्रेसेश से ज़्यादा ममा का खुद के लिए शौपिंग करना ज़्यादा पसंद आया उसने तो प्यार से ममा को गले ही नगा लिया तब ही अखिल का फोन आता है क्या कर रही हो जया ने अखिल को बताया कि आज उस शौपिंग के लिए थी और अपने लिए कुछ सामान खरित कर लाई थी अखिल भी बहुत खुश होता है और फिर से तजविर सेंड करने की बात याद दिला कर फोन कट कर देता है दूसरे दिन जया अच्छी से तैयार होने लगे उसने आज सब कुछ मैचिन पहना हुआ था आइने में खुद को देखने के बाद एक तजविर लेती है और अखिल को सेंड करती है और चल पड़ी फिर आफिस की तरव अखिल ने तजविर देखकर अखिल जया की खुब्शुरती का अंदाजा लगा चुका था जया अब भी पहने की तरही खुब्शुरत थी कमी थी तो बस खुद पर ध्यान देने के अखिल ने तजविर देखकर जया को कहा भी कि जया अग कम से कम खुद पर ध्यान देना स खुब्शुरती का अंदाजा लगा चुका था जया अखिल ने तजविर देखकर अंदाजा लगा चुका था जया अखिल ने तजविर ध्यान देने के अंदाजा लगा चुका था जया अखिल ने तजविर ध्यान देने के अंदाजा लगा चुका था जया अखिल ने तज कहीं ने कहीं जया की यह परिवर्टन दिशा भी नोटिश करने लगी थी वो खुद भी अपना मम्मा की सहता करना चाहती थी उसके पहनावे के साथ मैचिंग करने में कभी कभी तो मम्मा की कान के पिछे एक काला टीका भी लगा लेते ताकि उसकी मम्मा की मुश्कुरात को किसी की नजर ना लगे दिशा और हिटलर दोनों के सपोर्ट से जया में अग कई परिवर्टन आने लगे थे दिशा ने भी अभी नोटिश करना शुरू कर दिया था कि उसकी मम्मा की बातचीत किसी से फोन में हो रही है मम्मा कोई भी काम कर रही हो लेकिन अपनी फोन की बिंटोन को शुन और जल्दी से सारी में हाथ पूछते हुए अपने फोन के पास चली जाती है लेकिन दिशा ने उसे कभी तोका नहीं और ना कभी कोई प्रश्न किया उसने अंदाजा लगा लिया था कि उसकी मम्मा में ये परिवर्तन उस फोन वाने की वज़ासे ही हो रहा है लेकिन अब वो अपनी मम्मा को बस खुस देखना चाहती थे अपनी मम्मा की मुश्कुरात ही उसने कभी देखा नहीं था आज मम्मा का खुस से तयार होना गुंगो नाना कहीं न कहीं दिशा को एक अलग ही खुसी दे रही थे एक दिन सवेरे जब जया आफिस के लिए निकल रही थी तो दिशा ममा लुको जया जल्दी बाजी में घड़ी देखती हुए क्या बात है दिशा जल्दी बोलो दिशा अपने बैग में से कुछ लाती है और ममा के पास साकर ममा ये बिंदी लगा लो जया आश्चरे से दि� तो दोस्तो आज का एपिशेट आपको कैसा लगा अपने कमेंग बॉक्स में जरूर बताएं और हाँ इस रचना के लिए आपको मेरे चैनल को सब्सक्राइब करनी पड़ेगी और बेल आईकन को भी प्रेस करना पड़ेगा जिससे की इस रचना की नोटिफिकेशन आपको मिल सके और हम और आप रोज अमेसा की तरह कहानियों की सहर की तरभ जा सके तो आज के लिए इ