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The poem is about how those who make an effort never truly lose. It talks about how trying is important and that even if one fails, their efforts are never wasted. The poem emphasizes the importance of perseverance and not giving up, even in difficult times. It encourages the reader to accept their flaws and work towards improvement. The poem concludes with a message to not run away from challenges and to always strive for success. हलू बच्चु हमारे आज की प्यूरी कविता का शिर्षत है कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती है और इस कविता के रखेलता है डॉक्टर हरिवर्श राय भच्चा तो चलो शुरू करते हैं ये कविता नहरूर्च ते दरकर नका पार नहीं होती है कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती है नन्यी चीजी जब दाना लेकर चलती है चलती दीवारों पर तो बाद चलनती है मन का विश्वात लगों में साहस धरता है चलकर गिरना गिरकर चलना ना खरता है आकर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती है कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती है दुप्कियां सिंधु में गोता खोड लगाता है जाजाकर खाली हाथ लोच पर आता है मिलते नहीं सहज़ ही मोती गहरे पानी में बढ़ता दुगना उस्सा इसी खैरानी में मुठी उसकी खाली हर बार नहीं होती कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती असकलता एक चिलोत ही हो इसी स्विकार करो क्या कमी जहें गई देखो और सुधार करो जब तक नसकल हो नीर चैन हो क्या गो तुम संगर्श का मैदान छोड कर मत भागो तुम कुछ किये बिना ही जैजैकार नहीं होती कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती धन्यवाद