Details
Story sample
Details
Story sample
Comment
Story sample
बोली का ट्युहाल पास में आया तो पुंगा पंडिश में महले के लड़कों को चिनाची दी। मैं इस बार भी बोली नहीं खेलूंगा। आज तक कोई मुझे रंग नहीं ढाल सका। आगे भी किसी में इतनी हिम्मत नहीं कि कोई मुझे रंग ढाल सकी। मैं हार बार अपनी भुद्धिवानी से बच जाता हूं। तब इस सामनी से आते को एक थीनू बोला। क्यों दोस्तों इस बार होली चमकर खेलने का इरादा है न। इरादा तो है और पुंगा पंडिश इस बार भी होली खेलने के मूध में नहीं है। पंडिश हम लोगो दावत की बात है तो हमें आपकी चुनावती मंजूर है। चीदू ने कहा देखो वादे से न मुकर जाना।